स्कूल में पढ़ते समय जब किताबों में अलग अलग टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स और टूरिस्ट स्पॉट्स के बारें में पढ़ता था तब कुछ स्पॉट्स और डेस्टिनेशन्स बहुत आकर्षित करते थे। कोणार्क का सूर्य मंदिर, अंगकोरवाट मंदिर और विशाखापट्नम कुछ ऐसे ही नाम है। कोणार्क सूर्य मंदिर तो पांच साल पहले देख चुका हूँ और अंगकोरवाट देखने का सपना कब पूरा होगा पता नहीं लेकिन इसी बीच विशाखापट्नम जिसको लोग वैज़ाग Vizag के नाम से भी जानते है, जाने का प्लान बन चुका है। ईस्टर्न घाट और बंगाल की खाड़ी के तट पर बसा ये शहर आंध्र प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है और प्रदेश की फाइनेंसियल कैपिटल भी माना जाता है। शुरू से ही पढ़ते और सुनते आए हैं कि वैज़ाग जहाजरानी यानी शिपबिल्डिंग के लिए प्रसिद्ध है और ईस्टर्न नेवल कमांड का हेडक्वॉर्टर इस शहर के रुतबे में चार चांद लगा देता है। आर्थिक हो या सामाजिक, धार्मिक हो या सामरिक, पर्यटन हो या एतिहासिक सभी दृष्टिकोण से इस शहर की अपनी एक अलग जगह है, शांत और सुंदर तो है ही। सीमाचलम पर्वत पर बना भगवान श्री वराह लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी का विशाल मंदिर जो कम से कम 11वी शताब्दी या फिर उससे भी प्राचीन है, भारत के शिल्प और स्थापत्य का एक बेजोड़ उदाहरण हैं और साथ ही साथ वैष्णव परम्परा का एक मज़बूत केंद्र भी है। इसके अलावा सबमरीन म्यूजियम, कैलासगिरी, रामकृष्णा बीच, ऋषिकोंडा बीच, चिड़ियाघर, डॉलफिन नोज, अराकू आदि अन्य पर्यटन स्थल भी हैं। थोटलकोंडा में महास्तूप है जिससे उस क्षेत्र में बौद्ध धर्म की उपस्थिति का पता चलता है। विशाखापट्नम चोला वंश, कलिंग साम्राज्य, विजयनगर साम्राज्य, गोलकुंडा सल्तनत व अन्य प्राचीन राजाओं सहित मुगल, निज़ाम, फ्रांसीसी और ब्रिटिश हुकूमत का हिस्सा भी रहा है। विशाखापट्नम की गिनती देश के सबसे बड़े व्यापारिक पत्तनों में भी की जाती है।
अभी बस इतना ही, बाकी जानकारी तो घुमक्कड़ी के बाद ही दी जा सकती है, देखते हैं विशाखापट्नम जाने और घूमने का तजुर्बा कैसा रहता है। उम्मीद है अच्छा ही रहेगा।
-सचिन देव शर्मा